पटना: बिहार में पैदा होने वाले बच्चे में बौनापन अब आम हो रहा है। इसके पीछे की वजह से कुपोषण। कुपोषण यहां इस कदर घर कर गया है कि अब बच्चे बौना होने लगे हैं। आपको बता दें कि कुल बच्चों के 47.3 फीसद बच्चे कुपोषण के शिकार है।
बिहार में कुपोषण का कहर, स्थिति गंभीर
सूबे के 23 जिलों में इसकी स्थिति गंभीर है। विभाग ने इस बारे में जारी की है रिपोर्ट। रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वे की रिपोर्ट चिंताजनक है, क्योंकि प्रदेश भर में पांच वर्ष से कम उम्र के करीब 50 फीसद बच्चे कुपोषण के कारण बौनेपन से ग्रसित हैं।
कुपोषण से बिहार के पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में से लगभग आधे बौने हो रहे हैं। राज्य के कुल बच्चों में से 47.3 फीसद कुपोषित हैं। 38 जिलों में से 23 जिलों में कुपोषण गंभीर समस्या बनी हुई है। सरकार के सभी प्रयास बेमानी साबित हो रहे हैं। समाज कल्याण विभाग ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) की रिपोर्ट जारी की है।
रिपोर्ट के अनुसार बक्सर, गया, नवादा, नालंदा, कैमूर, भोजपुर, सारण, सिवान, वैशाली, मुंगेर, जमुई, भागलपुर, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, अररिया, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, मुजफ्फरपुर और दरभंगा में सर्वाधिक कुपोषण है। विभागीय मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने भी इस स्थिति पर चिंता प्रकट करते हुए कहा है कि पोषण अभियान की थर्ड पार्टी मॉनीटरिंग कराई जा रही है। हम कोशिश में हैं कि स्थिति में सुधार आए।
बच्चे ही नहीं बल्कि माताएं भी है कुपोषण की शिकार
बिहार में 33 फीसद महिलाएं भी एनीमिया की शिकार हैं। समाज कल्याण विभाग का दावा है कि महिलाओं एवं किशोरियों में खून की कमी (एनीमिया) से निपटने के लिए पहल की गई है। पोषण अभियान में सभी सिविल सर्जन, बाल विकास पदाधिकारी (सीडीपीओ), जिला परियोजना पदाधिकारी (डीपीओ) के साथ-साथ आशा कार्यकर्ताओं की मदद लेने का फैसला किया गया है।
सभी आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायक सेविकाओं को पोषण जागरूकता चलाने एवं उसमें जन भागीदारी के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आंगनबाड़ी केंद्रों और अस्पतालों में शून्य से लेकर पांच साल तक के बच्चों का नियमित वजन भी कराया जा रहा है।
हमारा बिहार टीम